नई दिल्ली, 8 अगस्त। Abnormal monsoon : चावल की कीमतों में वृद्धि का रुझान बरकरार है। असमान्य मानसून की वजह से बुआई में कमी की वजह से उत्पादन घटने की आशंका से आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं। ऐसे में चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार गेंहू व चीनी की तरह चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा सकती है। हालांकि, सरकार की दलील है कि देश में चावल का भरपूर स्टॉक है।
धान की बुआई में 13 फीसदी की कमी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पांच अगस्त को चावल (Abnormal monsoon) की अधिकतम कीमत 58 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई। जून और जुलाई माह में चावल के दाम में तीस प्रतिशत तक बढ़े हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित कई राज्यों में बारिश की कमी के कारण धान की बुआई में 13 फीसदी की कमी आई है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी बुआई में कमी आई है।
उत्पादन कम होने से महंगाई बढ़ेगी
विशेषज्ञ मानते हैं कि धान का उत्पादन कम होने से महंगाई बढ़ेगी। भारत करीब 40 फीसदी चावल निर्यात करता है। ऐसे में उत्पादन कम होता है तो घरेलू मांग को पूरी करने के लिए सरकार चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा सकती है। इससे पहले भी सरकार चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है। वर्ष 2008 में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी और यह प्रतिबंध 2010 तक लागू रहा था।
भारतीय बाजार में चावल की कीमतों पर दबाव बढ़ा
पिछले कुछ वर्षों में चावल (Abnormal monsoon) का निर्यात बढ़ा है। वर्ष 2021-22 में विश्व के करीब 150 से अधिक देशों को चावल निर्यात किया है। इनमें से 76 देशों को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात किया था। बांग्लादेश अमूमन भारतीय चावल का ग्राहक नहीं है, पर इस साल बांग्लादेश में चावल की मांग है। इसके लिए बांग्लादेश सरकार ने चावल पर आयात शुल्क भी घटा दिया है। इससे भी भारतीय बाजार में चावल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है।