नई दिल्ली, 22 जुलाई। Cashless Treatment : अब ज्यादा-से-ज्यादा अस्पतालों में मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सकेगी। भारतीय बीमा विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को मर्जी से अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की आजादी दी है।
महंगा होगा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम
कंपनियों को बोर्ड स्तर (Cashless Treatment) पर एक नीति बनानी होगी। उसके बाद वे किसी भी अस्पताल को पैनल में ला सकती हैं। इस फैसले से कैशलेस सुविधाओं के नियमों को आसान बना दिया गया है।
जीएसटी परिषद ने हाल में हर दिन 5,000 रुपये से ज्यादा के किराये वाले कमरे पर 5% जीएसटी लगाने की मंजूरी दी है। इससे स्वास्थ्य बीमा महंगा हो सकता है। स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर भी 18 फीसदी का जीएसटी लागू है। इससे बीमा कंपनियों को अस्पताल के पैकेज में भी बदलाव करना पड़ेगा।
अभी तक उन्हीं अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की इजाजत थी, जिनके पास एनबीएच का प्रमाणपत्र है। या फिर अस्पताल को रोहिनी (रजिस्ट्री ऑफ हॉस्पिटल्स इन द नेटवर्क ऑफ इंश्योरर्स) में पंजीकरण होना जरूरी था। इरडा ने बीमा कंपनियों के साथ टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर्स) को भी पत्र भेजा है। एजेंसी
18% जीएसटी लगता है स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर
इरडा ने कहा कि बोर्ड की नीति में अस्पताल में कम से कम श्रमबल और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखें। साथ ही बोर्ड द्वारा मंजूर पैनल के नियमों को समय-समय पर कंपनियों की वेबसाइट पर भी डालना जरूरी है।
बोर्ड की नीतियों का पालन करना होगा
इरडा ने कहा कि पैनल में उन्हीं अस्पतालों (Cashless Treatment) को शामिल किया जाएगा, जो बीमा कंपनियों के बोर्ड द्वारा तैयार नियमों का पालन करेंगे। बीमा कंपनियों का कहना है कि बीमा कारोबार लगातार सुधार कर रहा है। इस सर्कुलर से अब बीमा की पहुंच ज्यादातर इलाकों में और ज्यादा अस्पतालों में हो सकेगी। इससे अधिक से अधिक लोगों तक बीमा की पहुंच भी बढ़ेगी।