धमतरी, 8 फरवरी। Admission in RTE : शिक्षा सत्र 2020-21 में RTE के तहत प्रवेशित बच्चों के व्यय प्रतिपूर्ति राशि भुगतान के लिए राज्य शासन द्वारा ऑनलाइन मोड में दावा राशि की जानकारी मंगाई गई थी।
जिला शिक्षा अधिकारी डॉ.रजनी नेल्सन ने बताया कि 07 फरवरी की स्थिति में जिले के 197 स्कूलों में से 191 अशासकीय स्कूलों द्वारा RTE के तहत दावा प्रेषित किया गया। इस तरह शिक्षा का अधिकारी अधिनियम के तहत ऑनलाइन दावा प्रेषण में धमतरी जिला 96.95 प्रतिशत के साथ प्रदेश में पहले स्थान पर रहा।
बताया गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Admission in RTE) 2009 RTE के तहत शिक्षा सत्र 2020-21 में जिले के 1548 सीटों में 1248 बच्चों को निःशुल्क प्रवेश दिया गया है।
यह निषेध करता है
शारीरिक दंड और मानसिक उत्पीड़न। बच्चों के प्रवेश के लिये स्क्रीनिंग प्रक्रिया। प्रति व्यक्ति शुल्क। शिक्षकों द्वारा निजी ट्यूशन। बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय। यह बच्चे को उसके अनुकूल और बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली के माध्यम से भय, आघात और चिंता से मुक्त बनाने पर केंद्रित है।
मुफ्त शिक्षा के लिये तर्क
कक्षा 8 के बाद बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूल से सरकारी स्कूल में बदलाव से बच्चों की मनःस्थिति और शिक्षा प्रभावित हो सकती है और इस प्रकार आरटीई के लाभों का विस्तार शिक्षा में निरंतरता को सुनिश्चित करेगा।
शिक्षा का अधिकार की विशेषताएँ
धारा 12 (1) (C) में कहा गया है कि गैर-अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल आर्थिक रूप से कमज़ोर और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के लिये प्रवेश स्तर ग्रेड में कम- से-कम 25% सीटें आरक्षित करें।
यह विद्यालय न जाने वाले बच्चे के लिये एक उपयुक्त आयु से संबंधित कक्षा में भर्ती करने का प्रावधान भी करता है।
यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय एवं अन्य ज़िम्मेदारियों को साझा करने के बारे में भी जानकारी देता है।
भारतीय संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और केंद्र व राज्य दोनों इस विषय पर कानून बना सकते हैं।
यह छात्र-शिक्षक अनुपात, भवन और बुनियादी ढाँचा, स्कूल-कार्य दिवस, शिक्षकों के लिये कार्यावधि से संबंधित मानदंडों और मानकों का प्रावधान करता है।
इस अधिनियम में गैर-शैक्षणिक कार्यों जैसे-स्थानीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनावों तथा आपदा राहत के अलावा अन्य कार्यों में शिक्षकों की तैनाती का प्रावधान करता है।
यह अपेक्षित प्रविष्टि और शैक्षणिक योग्यता के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है।