रायपुर, 17 दिसंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के तीन साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा हो रही है।
छत्तीसगढ़ के सीएम की चर्चा आज देशभर में हो रही है। यह प्रतिष्ठा यूं ही नहीं आई। इसे लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के 3 साल के सफलतम कार्यकाल जन कल्याणकारी योजनाएं के चलते छत्तीसगढ़ के सर्वहारा वर्ग को लाभ हुआ है और छत्तीसगढ़ की पहचान देश में अग्रणी राज्यों के रूप में हुई है। छत्तीसगढ़ तेजी से विकसित हो रहा है।
ग्रामीण संस्कृति में मजबूत हुई खेती
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण संस्कृति में खेती-किसानी को मजबूत बनाने के लिए जहां सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना संचालित की जा रही है। इससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों आर्थिक क्रियाकलापों को और अधिक गति देने के लिए ग्रामीण कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ लौहशिल्प विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ चर्म शिल्पकार बोर्ड और छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड का गठन किया है।
ग्रामीण शिल्पकारों की उन्नति
राज्य सरकार द्वारा इन नवीन बोर्डों के गठन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है तथा इन बोर्डों को ग्रामीण शिल्पियों की उन्नति के लिए कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड के लिए 10 लाख रूपए की राशि का प्रावधान किया गया है।
आदिवासी संस्कृति की रक्षा की
आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और विकास के लिए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में उनके पूजा एवं श्रद्धा स्थलों-देवगुड़ी के निर्माण और मरम्मत के लिए प्रदान की जाने वाली राशियों में 5 गुना की वृद्धि की है। वर्ष 2017-18 से प्रति देवगुड़ी निर्माण के लिए एक लाख रूपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही थी। राज्य शासन द्वारा इसमें वृद्धि कर प्रति देवगुड़ी निर्माण के लिए 5 लाख रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही अबूझमाड़िया जनजाति समुदायों में प्रचलित घोटुल प्रथा को संरक्षित रखने के लिए भी विशेष प्रयास किया गया है। विगत तीन वर्षों में एक हजार 176 देवगुड़ी निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए हैं। वर्ष 2021-22 में 164 देवगुड़ी के लिए 164.20 लाख रूपए का आबंटन जिलों को उपलब्ध कराया गया है।
भूपेश सरकार में छत्तीसगढ़ में 20 लाख किसानों के 11 हजार करोड़ तक का कर्ज माफ किया है।
18 लाख किसानों के 217 करोड़ के लगभग सिंचाई कर को माफ किया है।
धान की कीमत 2560 रू. एवं 2540 रू. प्रति कि्ंवटल दिया जा रहा है।
मक्का, गन्ना, कोदो, कूटकी, रागी, दलहन, तिलहन, फलदार वृक्ष एवं सब्जी लगाने वाले किसानों को 10 हजार रू. प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दिया जा रहा है।
तेन्दुपत्ता का मानक दर 4000 रू. प्रति बोरा एवं 52 वनोपज की समर्थन मूल्य की खरीदी की जा रही है।
1700 आदिवासी परिवार के 4100 एकड़ जमीन लौटाया गया है।
महिला स्व सहायता समूह की 13 करोड़ रू. की कर्ज माफी की।
40 लाख परिवार को बिजली बिल हाफ की सुविधा दे रही है।